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अंधेरी रातों में! भटकना बाकी है, तड़पना बाकी है, म

अंधेरी रातों में!
भटकना बाकी है,
तड़पना बाकी है,
मचलना बाकी है।
छत की सीढियों से,
दिल की दीवार से
उछलना बाकी है।।
समेट लेता हु यादों को दिल में। 
 कमबख्त इजहार अभी बाकी है।।
अंधेरी रातों में!
भटकना बाकी है।।

©Raviraaj #इजहार बाकी है।
अंधेरी रातों में!
भटकना बाकी है,
तड़पना बाकी है,
मचलना बाकी है।
छत की सीढियों से,
दिल की दीवार से
उछलना बाकी है।।
समेट लेता हु यादों को दिल में। 
 कमबख्त इजहार अभी बाकी है।।
अंधेरी रातों में!
भटकना बाकी है।।

©Raviraaj #इजहार बाकी है।
ravindrakumar7597

Raviraaj

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