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शीर्षक ** सच कहूँ ** बात कुछ पुरानी है ज

       शीर्षक
 ** सच कहूँ **

बात कुछ पुरानी है 
जब घर में लाई मम्मी
एक छोटी बोलती गुड़िया 
गुड़िया कुछ दिन की स्यानी थी

जैसे जैसे समय बीतता गया
दिल में कुछ हलचल सी हुई
माँ! अब क्या ये यहीं रहेगी
माँ देखीं और मुस्कराई थीं

कुछ माह बीते और कुछ साल
माँ बूढ़ी थी न कर पाती कुछ काम
क्या करूँ ! मुझे भी जाना था शहर
पढ़ाई का हिस्सा बचा था कुछ खास
 (((( शेष अनुशीर्षक )))) कुछ साल बीते ही थे मुझे शहर में
अचानक, माँ की तबियत हो गई ख़राब
गुड़िया का रो रो कर हुआ था बुरा हाल
बापू भी थे टल्ली फुलटॉस पिए थे शराब

साहस तो उस गुड़िया ने दिखाया
कॉल करके जब डॉक्टर को बुलाया
उसकी उम्र को देख डॉ. भी हैरां हुआ
       शीर्षक
 ** सच कहूँ **

बात कुछ पुरानी है 
जब घर में लाई मम्मी
एक छोटी बोलती गुड़िया 
गुड़िया कुछ दिन की स्यानी थी

जैसे जैसे समय बीतता गया
दिल में कुछ हलचल सी हुई
माँ! अब क्या ये यहीं रहेगी
माँ देखीं और मुस्कराई थीं

कुछ माह बीते और कुछ साल
माँ बूढ़ी थी न कर पाती कुछ काम
क्या करूँ ! मुझे भी जाना था शहर
पढ़ाई का हिस्सा बचा था कुछ खास
 (((( शेष अनुशीर्षक )))) कुछ साल बीते ही थे मुझे शहर में
अचानक, माँ की तबियत हो गई ख़राब
गुड़िया का रो रो कर हुआ था बुरा हाल
बापू भी थे टल्ली फुलटॉस पिए थे शराब

साहस तो उस गुड़िया ने दिखाया
कॉल करके जब डॉक्टर को बुलाया
उसकी उम्र को देख डॉ. भी हैरां हुआ