आज वो चांद कुछ नया सा है, अधूरा तो है मगर अलग सा है,, ये रातों की गहरी अंधेरे के बीच , एक यही है जो हमेशा झलकता है,, कभी दिखता है तो कभी चुप जाता है, साय द एक नए सुरूवात के कोसिस में है,, कामयाब हो वो कोशिश, ये दिल से दुआ है, पूरी हो वो चाहते जिसके इंतज़ार में वो है,, लाखो सितारों के बीच ये यूं चमकता रहे, हर तूफान में भी ये यूं हैं झलकता रहे,, क्यूंकि आज वो चांद साय द कुछ नया सा है.. A poem for moon,