इक आस है, जीवन में मेरे भी उजाला आएगा.. यू रात भर बेचैनी में जगना छूट जाएगा..!! होगा नया सवेरा जीवन मे भी मेरे... करवट बदल कर रातों में जगना छूट जाएगा.... हासिल कर तो लू रोजी मगर, ख्वाबो का क्या करूँ ये कहते हैं ,तेरा भी बड़ा मुकाम आएगा..... दुनियाभर के तीखे तेवरों को झेल जाता हूँ सभी शिकवे गिले अपनो के मैं भूल अब जाता हूँ मचलता है मेरा भी मन किसी थाम लूँ ऊँगली आत्मसम्मान है मेरा कि मुझको रोक लेता है अक्सर खोजता हूँ प्रगति के जरिये नए नए.... न जाने कौन सा अवसर नया आयाम लाएगा..!! इक आस है , जीवन मे मेरे भी उजाला आएगा...। इक आस