क्या तू भी ये गुनाह करेगा इश्क़ में खुद को फ़ना करेगा मत कर इस टूटे दिल पे नज़र नीम शब में खुद की आहों फुगा सुना करेगा जिन राहो पे फूल महज़ दिख रहे है अभी हाल वो होगा के खार खुद चुना करेगा खिड़की से तकेगा राहों को खो जाएगा किसी की आहों में किसी को गर अपना आईना करेगा सुनाता हूँ पैगाम इश्क़ का बुरा है दोस्त अंजाम इश्क़ का सारी रात आएगी याद महज़ तारे ही तो गिना करेगा मत कर ये कारोबार रायगा है ये रोज़गार रोएगा गर दिलों का सौदा करेगा जाने किस परी की परछाई जाम के साथ शाम में फ़िर नज़र आई एक के चार नज़र आएंगे गर इतना नशा करेगा स्याह शब है ग़म की, ये नहीं कोई मेहताब मोहब्बत की बातो से अब उदास क्यों हो जाते है जनाब तुझे लगा था बहुत मज़ा करेगा जा रेल की पटरियों पे है इक परी चेहरा जिसका है रंग तेरी तरह सुर्ख गहराई शायद उसे इंतेज़ार हो तेरा देखना चाहती है वो तेरे सर पे सहरा अब जल्दी कूच कर, वर्ना ता उम्र पछताएगा अब देर ज़रा करेगा और आँखें भरा करेगा ले जा साथ इस फ़कीर की दुआ हिफाज़त करे तेरी खुदा मौला तेरा भला करेगा ©qais majaaz,3rdmaster #smog