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#सोचता हूं धीमे धीमे जो ताल सूर में आए दबे पांव

#सोचता हूं

धीमे धीमे जो ताल सूर में 
आए
दबे पांव जब मौत तुमसे लिपट 
जाए

गली कूचे सड़कें नितांत वीरान हो 
जाएं

ये खौफ ये मंज़र देखकर लगने 
लगा है 
क्या पता ये बसन्त भी शायद ही 
देख पाएं 

- कवि अनिल #KaviAnilKumar
#सोचता हूं

धीमे धीमे जो ताल सूर में 
आए
दबे पांव जब मौत तुमसे लिपट 
जाए

गली कूचे सड़कें नितांत वीरान हो 
जाएं

ये खौफ ये मंज़र देखकर लगने 
लगा है 
क्या पता ये बसन्त भी शायद ही 
देख पाएं 

- कवि अनिल #KaviAnilKumar