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नावाक़िफ़ रहा, मेरी कलम से भी तूँ। नामालूम था, अंजा

नावाक़िफ़ रहा,
मेरी कलम से भी तूँ।
नामालूम था,
 अंजाम क्या होगा।
आखिर नामंजूर ही कर दिया,
मेरी शायरी ने तुझे।

📚🖋️जसविन्द्र दिवाना
          (गुमनाम शायर) #jaswinderdiwana
नावाक़िफ़ रहा,
मेरी कलम से भी तूँ।
नामालूम था,
 अंजाम क्या होगा।
आखिर नामंजूर ही कर दिया,
मेरी शायरी ने तुझे।

📚🖋️जसविन्द्र दिवाना
          (गुमनाम शायर) #jaswinderdiwana