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कई शाम-ऐ गुजार दी एक इंतज़ार के पीछे, मेरी मुकरा अ

कई शाम-ऐ गुजार दी एक इंतज़ार के पीछे,
मेरी मुकरा अपनी हर बात से नीचे,
लम्हा-दर-लम्हा दिल से कहीं कई तहमते,
मैं बिखरा भी अपनी ही वजह से।— % & कई शाम-ऐ गुजार दी एक इंतज़ार के पीछे,
मेरी मुकरा अपनी हर बात से नीचे,
लम्हा-दर-लम्हा दिल से कहीं कई तहमते,
मैं बिखरा भी अपनी ही वजह से।

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#alex
कई शाम-ऐ गुजार दी एक इंतज़ार के पीछे,
मेरी मुकरा अपनी हर बात से नीचे,
लम्हा-दर-लम्हा दिल से कहीं कई तहमते,
मैं बिखरा भी अपनी ही वजह से।— % & कई शाम-ऐ गुजार दी एक इंतज़ार के पीछे,
मेरी मुकरा अपनी हर बात से नीचे,
लम्हा-दर-लम्हा दिल से कहीं कई तहमते,
मैं बिखरा भी अपनी ही वजह से।

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alexakash4915

alex akash

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