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मुझे फिर से रख लो अपनी कैद में आजादी नहीं चाहिए म

मुझे फिर से रख लो अपनी कैद में
 आजादी नहीं चाहिए मैं सोचती
ये अनमोल तोहफा नहीं चाहिए मुझे मैं फरियाद करती
कब मैं आजाद हुई मैं तड़पी मैं गिड़गिड़ाई 
आजाद पंछी बनने की कीमत मुझे बाद में समझ आई
जब हुई आजाद भटकते फिरते घूम रही थी बंद 
होना चाह रही थी किसी पिंजरे में
वक्त गुजरा हालत बदले अब खुली हवा में सांस ले
 रही थी अपनी आजादी में

©NISHA DHURVEY आजाद पंछी 
#titliyan #आजादपंछी
मुझे फिर से रख लो अपनी कैद में
 आजादी नहीं चाहिए मैं सोचती
ये अनमोल तोहफा नहीं चाहिए मुझे मैं फरियाद करती
कब मैं आजाद हुई मैं तड़पी मैं गिड़गिड़ाई 
आजाद पंछी बनने की कीमत मुझे बाद में समझ आई
जब हुई आजाद भटकते फिरते घूम रही थी बंद 
होना चाह रही थी किसी पिंजरे में
वक्त गुजरा हालत बदले अब खुली हवा में सांस ले
 रही थी अपनी आजादी में

©NISHA DHURVEY आजाद पंछी 
#titliyan #आजादपंछी