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निगाहें दिल की चाहत तो बस तुम हीं हो, गुस्ताखी न

निगाहें  दिल की चाहत तो बस तुम हीं हो,

गुस्ताखी निगाहें करे किसी और को देखने की तो इसमें मेरा क्या कुसूर।

©Adarsh kumar Tanmay निगाहें
निगाहें  दिल की चाहत तो बस तुम हीं हो,

गुस्ताखी निगाहें करे किसी और को देखने की तो इसमें मेरा क्या कुसूर।

©Adarsh kumar Tanmay निगाहें