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मौला जो खुद से अनजान है देखता, परखता... जोड़ता है,

मौला जो खुद से अनजान है
देखता, परखता... जोड़ता है,
यह आज लगे बड़ा लालची है,
मौन का कशाकश करें भेद-भाव,
विहंगम सदृश्य करो ना मोलभाव,
नाद नर की, कि नारायण करें हूंकार,
कालिका करें दलन, हरे दुःख, तम संहार,
धू-धू कर जल जाए माटी संग व्यर्थ अहंकार!
 कल जो अजनबी है
मौला जो खुद से अनजान है
देखता, परखता... जोड़ता है,
यह आज लगे बड़ा लालची है,
मौन का कशाकश करें भेद-भाव,
विहंगम सदृश्य करो ना मोलभाव,
नाद नर की, कि नारायण करें हूंकार,
कालिका करें दलन, हर दुःख का संहार,
मौला जो खुद से अनजान है
देखता, परखता... जोड़ता है,
यह आज लगे बड़ा लालची है,
मौन का कशाकश करें भेद-भाव,
विहंगम सदृश्य करो ना मोलभाव,
नाद नर की, कि नारायण करें हूंकार,
कालिका करें दलन, हरे दुःख, तम संहार,
धू-धू कर जल जाए माटी संग व्यर्थ अहंकार!
 कल जो अजनबी है
मौला जो खुद से अनजान है
देखता, परखता... जोड़ता है,
यह आज लगे बड़ा लालची है,
मौन का कशाकश करें भेद-भाव,
विहंगम सदृश्य करो ना मोलभाव,
नाद नर की, कि नारायण करें हूंकार,
कालिका करें दलन, हर दुःख का संहार,
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