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कैसी ये खलिश कैसा ख़ुमार है, पास तुम्हारे बेचैन ह

कैसी ये खलिश  कैसा ख़ुमार है,  पास तुम्हारे बेचैन हूँ मैं,और दूर जाऊँ तो दिल बेकरार है...
क्या यही प्यार है ?
तडप रहा हूँ तेरे लिये फिर भी न जाने कैसा करार है...
लबों पै है 'न' और आँखों में इजहार है..
कैसी ये खलिश कैसा ये खुमार है..
क्या यही प्यार है?
तुम ही तो हो बस मेरे ,और तुम्हारी ही कमी हर बार है..
और आ जाओ करीब मेरे ,तुम्हारा ही तो इंतजार है
तुम्ही तो जीते हो इस दुनिया से मैंने,और तुम्ही से हुई मेरी हार है...
कैसी यो खलिश कैसा ये खुमार है..
क्या यही प्यार है ? क्या यही प्यार है ?
कैसी ये खलिश  कैसा ख़ुमार है,  पास तुम्हारे बेचैन हूँ मैं,और दूर जाऊँ तो दिल बेकरार है...
क्या यही प्यार है ?
तडप रहा हूँ तेरे लिये फिर भी न जाने कैसा करार है...
लबों पै है 'न' और आँखों में इजहार है..
कैसी ये खलिश कैसा ये खुमार है..
क्या यही प्यार है?
तुम ही तो हो बस मेरे ,और तुम्हारी ही कमी हर बार है..
और आ जाओ करीब मेरे ,तुम्हारा ही तो इंतजार है
तुम्ही तो जीते हो इस दुनिया से मैंने,और तुम्ही से हुई मेरी हार है...
कैसी यो खलिश कैसा ये खुमार है..
क्या यही प्यार है ? क्या यही प्यार है ?