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।। ॐ ।। यस्य त्रयस्त्रिंशद् देवा अङ्गे गात्रा विभ

।। ॐ ।।

यस्य त्रयस्त्रिंशद् देवा अङ्गे गात्रा विभेजिरे । 
तान् वै त्रयास्त्रिंशद् देवानेके ब्रह्मविदो विदुः ।।

अर्थात वेदज्ञ लोग जानते हैं कि तैंतीस प्रकार के देवता संसार का धारण और प्राणियों का पालन कर रहे हैं ।

 That is, Vedic people know that thirty three types of gods are wearing the world and following beings.

अथर्ववेद  १०।७।२७ #अथर्ववेद #वेद #देवता #तैंतीस_कोटि_देव
।। ॐ ।।

यस्य त्रयस्त्रिंशद् देवा अङ्गे गात्रा विभेजिरे । 
तान् वै त्रयास्त्रिंशद् देवानेके ब्रह्मविदो विदुः ।।

अर्थात वेदज्ञ लोग जानते हैं कि तैंतीस प्रकार के देवता संसार का धारण और प्राणियों का पालन कर रहे हैं ।

 That is, Vedic people know that thirty three types of gods are wearing the world and following beings.

अथर्ववेद  १०।७।२७ #अथर्ववेद #वेद #देवता #तैंतीस_कोटि_देव