Wo Hansi ke phawaare, Wo bachpan wale gappon ke galiyare, Wo madmast athkheliyan, Wo sachhi saheliyaan. एक दौर था जब कहने की ज़रूरत नहीं पड़ती थी और दोस्त हाज़िर हो जाते थे। अब प्लान बनाकर भी कोई नहीं मिलता। सारे त्यौहार नीरस होते जा रहे हैं। #नहींमिलतेअब#collab #yqdidi #yourquoteandmine Collaborating with YourQuote Didi