जिंदगी तुझसे मिले हैं हम कयी बार रातों में, कितने ख़्वाब जिए हैं हमने यहां ख्वाबों में। तुझसे बिछड़े तो कुछ रहा नहीं इन हाथों में, बस एक उम्र गुजार दी हमने इन किताबों में। -jivan kohli ©खुले जहां के आजाद मुसाफ़िर #किताब #गुजर #jivankohli #Yaad Mamta Sharma Mohit ki panktiyaan BhawnaBeautyExpert writar ShivendraSinghsonu Jainasvi sharma Parveen Gurjar