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आज़ से पचीस साल पूर्व ढेर सारी नसीहतो के साथ पापा

आज़ से पचीस साल पूर्व 
ढेर सारी नसीहतो के साथ 
पापा ने मुझे पटना तब भेजा था 
ज़ब गांव का सामान्य आदमी 
शायद हीं हिम्मत जुटा पाता था 
पापा ने बस स्टैंड तक छोड़ा था 
और भाई भागलपुर स्टेशन तक 
हम दो भाइयों को ट्रेन मे छोड़ने 
बोला नहीं था कुछ लेकिन 
नजरो से एक वादा ले लिया था 
जाओ आप पापा के सपने बनाना 
मंझला था बोला हमें नहीं पढ़ना 
तब हम नहीं समझ पाए थे 
लगा ये शैतानी कर रहा है 
अपनी जिंदगी बर्बाद कर रहा है 
आज ज़ब समझा तो लगा की हम 
बड़े होकर भी कितने छोटे हप गए 
और मेरा छोटा कितना बड़ा हप गया 
ठीक 25साल बाद वही नजारा सामने था 
बस स्टेशन दूसरा था मुझे नहीं 
मै छोड़ने आया था अपने दोनों बेटों को 
लेकिन इस बार नसीहत मेरे थे 
और उम्मीदों को बोझ बेटों पर 
उदास ट्रेन मे सवार पटना जाने के लिए 
एक तपस्या के लिए घर से दूर 
हा बेटे यही है दस्तूर हा यही है दस्तूर

©ranjit Kumar rathour
  पचीस साल बाद

पचीस साल बाद #मोटिवेशनल

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