यों तो भरता नहीं घाव रुकता नहीं रिसाव सोते जाग उठे गर नितांत अभावों का भाव किन्तु!भरा हुआ मन जब कसक रहा हो और पकती पीड़ा उमस रही हो भीतर-भीतर ढाँढ़स बँध जाता है पल को जब नेह में पगा कोई मन हवा सरीखा छू लेता है खुला हो जब वातायन किलस रहा हो बिलख रहा हो जब बरबस ख़ालीपन संबल मिलता है धर काँधे पे हाथ जता दे कोई अपनापन #toyou #thankingyou #yqsolace #yqpeace #yqlove #beingwith