ज़रा सा दुर क्या गए बचपन की गलियों से यारो से यरियाँ भी कम हुई । जो मिलतें थे हर रोज उनसे, मुलाकातें भी ज़रा कम हुई। दूरियाँ खमोशियों से बढते चली गई और अब बातें भी कम हुईं । हम तो वक़्त से पहले ही पहुँच गये थे ऐ दोस्त। जरूरी तुमने ना समझा पूछना ,ना हमारे आने की खबर ली। यारियाँ ....