न जाना दूर तुम जाना हैं मजबूरियाँ माना धड़कनों की बसी बस्ती यों तुम करना ना वीराना सजी पलकों पे ये रातें चाँद!देखो न खो जाना ये आँगन तुमसे बाबस्ता मुँडेर पे चले आना... न चाहत तुमको छूने की न चाहें हम तुम्हें पाना अँधेरों की निगहबानी राब्ता है ये रूहानी अपनी इन निगाहों से रूह तक तुम उतर आना बुझ रही रूह की बाती लौट आना...चले आना #moonwalk