#व्यवहार और रिश्ते..............!!!! पुनम की शादी के कुछ ही दिन हुए थे और आज कामवाली भी नहीं आई। पुनम बर्तन साफ कर रही थी। अचानक बर्तन साफ करते-करते शीशे की कप हाथ से छुट गया और कप फर्श पर गिर कर टुट गया। कप टुटते ही पुनम घबरा गई की अब सासु माँ मुझे खरी-खोटी सुनाऐंगी। साथ ही मेरे मम्मी पापा को कोसेंगीं। कप टुटने की आवाज सुनते ही सास दौड़कर आई और बोली बेटी क्या हुआ.....?? पुनम डरते हुए माँ ध्यान रखी थी पर पता नहीं कैसे कप हाथ से छूट गया और टुट गया। सास बोली बेटा चिन्ता मत कर कप ही तो टुटा है तुम्हें चोट तो नहीं आई। भले ही कप के कितने ही टुकड़े हो जायें पर तुम्हें तनिक भी खरोंच नहीं आनी चाहिए। तुमसे ज्यादा किमती ये कप नहीं है। और हाँ तुम्हें अभी ये सब करने की क्या जरूरत है....?? अभी तो तेरे हाथों के मेंहदी के रंग भी नहीं उतरे और ये सब करने लगी। बेटा अभी तुम राज के साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताओ तभी तुम एक दुसरे को समझ सकोगे। इसी से तुम्हारे रिश्ते और जिवन की निव मजबूत होगी। सास ने बेटी को आवाज लगाई गुंजन ईधर आओ अपनी भाभी का ख्याल रखो। अभी तो नई-नई आई है। पुनम बेटा तुम मुझे भी अपना माँ समझना। हमें भी तुम्हारा दिल जीतना है, सास बनकर नहीं बल्कि माँ बनकर। ये सुनते ही पुनम की आँखें भर आई और सासु माँ का पैर छुकर बोली मैं कितनी सौभाग्यशाली हूँ कि एक माँ को छोड़ी तो दूसरी माँ मिल गई। आप तो मेरी माँ से भी ज्यादा प्यार और ममता रखती हैं। अगर घर में भी कप टुट जाता तो माँ भी दो चार बातें सुनाऐ बिना नहीं रहती। रात को मानो पुनम की आँखों से निंद गायब थी। उसको शाम की घटना याद आ रही थी। सास और बहु के रिश्ते के बारे में जो उसकी सोच थी उससे विपरीत सास का व्यवहार पाया। पुनम का भी कसुर नहीं था। उसने भी लोगों के मुंह से बुरी सास के बारे में ही अनेकों कहाँनीयाँ सुनी थी। फिर वो अपने अतीत में खो गई। उसे याद आया उसके इकलौते भाई आकाश की शादी हुई थी। भाभी के मेंहदी के रंग उतरने से पहले ही माँ ने भाभी के ऊपर घर के काम की पुरी जिम्मेदारी डाल दी और अपने ही नियम कानून के हिसाब से चलने पर विवश कर दी। मैंने भाभी को कभी खुली हवा में खुलकर हंसते नहीं देखा। फिर कुछ सालों बाद भाभी ने ये सब सहना छोड़ दिया। घर में हर रोज झगड़ा होने लगा। पुनम यही सब देखकर बड़ी हुई और एक अंजाना सा भय मन में लेकर ससुराल आई। पर आज की घटना ने उसका सोच बदल दिया। रात को निंद न आने की वजह सोची चलो माँ से बातें करते हैं। ईतनी रात को बेटी का फोन देखकर माँ घबराई और बोली बेटा सब कुछ ठीक तो है। कहीं किसी से कहा सुनी तो नहीं हुआ। पुनम ने कहा नहीं माँ। जानती हो माँ आज बर्तन साफ करते वक्त मेरे हाथ से कप गिर कर टुट गया। पुनम आगे कुछ कहती माँ बोल पड़ी तब तुम्हारी सास ने खरी खोटी सुनाई होगी। तुमने भी एक बड़ा सा जवाब दी की नहीं। बेटी किसी से डरना नहीं है। किसी के सामने झुकना नहीं। बीच में ही पुनम जोर चिल्लाई माँ ऐसा कुछ भी नहीं हुआ और उसने सारी घटना बताई। पुनम बोली माँ काश..!! तुम भी भाभी के साथ ऐसा ही व्यवहार करती तो तुम्हारे घर में भी खुशीयाँ और लक्ष्मी वास करती। तुमने तो बेचारी भाभी का जीना हराम कर रखा है। पुनम ने माँ को अनेकों गलतीयां याद दिलाई। माँ अपने बेटी की बातें स्तम्भद होकर सुन रही थी। मानो जैसे पुनम उनकी बेटी नहीं आज उनकी माँ हैं। इतना ही नहीं पुनम की माँ ने अपने किये गल्ती को स्वीकारी अपने बहु से माँफी मांगने और अच्छे व्यवहार करने का वादा भी किया और बोली यही मेरा पश्च्याताप होगा। बेटी सो जाओ रात बहुत हो गयी है। अच्छा माँ OK रखती हूँ प्रणाम.!!!!! एक इंसान के अच्छे व्यवहार से कई घर, कई जिन्दगीयां तबाह और बर्बाद होने से बच जाती हैं। रिश्ते