देखा हर नब्ज जिंदगी का.. पूछ बैठा इरादा क्या है। जब समझ बैठा कोई परछाई.. तब देखा मेरा साया क्या है। रह रह झलक जाता जब कोई.. देखे न दिखा नजारा क्या है। खामोश दिखते हर राहों पर जब.. फिर पूछते तेरा वादा क्या है। मुस्कुराहटो को छिपा रखा सिरहाने.. तो समझा तेरा बहाना क्या है। फासले बढे तो बढे चुप थे.. रो पडे जब पूछा ठिकाना क्या है। इरादा क्या है।...✍️