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#मेरा अस्तित्व.. सुनो....लोग कहते हैं मैं ना कुछ क

#मेरा अस्तित्व..
सुनो....लोग कहते हैं मैं ना कुछ करता हुँ ना कुछ कहता सुनता हुँ
हुँ मैं इक जिंदा लाश सा बेपरवाह 
ज्यों जीवन के पन्नों पर बिखरा-बिखरा सा ही रहता हुँ
शाम की संध्या मैं पंछीयों कि चहलपहल में उलझा उलझा रहता हुँ
लौटता देख उन्हें घरौदों में मैं खुशियों को जीता हुँ
दुनियां के इस हलचल से दूर मैं एकांत को जीता हुँ
हुँ थोडा़ शक्त में इसलिए मौन में ही रहता हुँ
बातें तो बहुत हैं पर पसंदीदा लोगों से ही करता हुँ
वक्त हुँ मैं व्यस्तता भरा तभी पन्नों पर
बिखरा-बिखरा सा रहता हुँ
तारों संग रोजाना मैं कुछ शब्दों में खो जाता हुँ
यादों के फूलों को सजाकर कविता की
इक खूबसूरत दुनियां रचाता हुँ
लोग कहते हैं मैं ना कुछ करता हुँ
ना कुछ कहता सुनता हुँ
हुँ मैं इक जिंदा लाश सा बेपरवाह
ज्यों जीवन के पन्नों पर
उलझा-उलझा सा ही रहता हुँ....
@शब्दभेदी किशोर

©शब्दवेडा किशोर #मेरा_अस्तित्व
#मेरा अस्तित्व..
सुनो....लोग कहते हैं मैं ना कुछ करता हुँ ना कुछ कहता सुनता हुँ
हुँ मैं इक जिंदा लाश सा बेपरवाह 
ज्यों जीवन के पन्नों पर बिखरा-बिखरा सा ही रहता हुँ
शाम की संध्या मैं पंछीयों कि चहलपहल में उलझा उलझा रहता हुँ
लौटता देख उन्हें घरौदों में मैं खुशियों को जीता हुँ
दुनियां के इस हलचल से दूर मैं एकांत को जीता हुँ
हुँ थोडा़ शक्त में इसलिए मौन में ही रहता हुँ
बातें तो बहुत हैं पर पसंदीदा लोगों से ही करता हुँ
वक्त हुँ मैं व्यस्तता भरा तभी पन्नों पर
बिखरा-बिखरा सा रहता हुँ
तारों संग रोजाना मैं कुछ शब्दों में खो जाता हुँ
यादों के फूलों को सजाकर कविता की
इक खूबसूरत दुनियां रचाता हुँ
लोग कहते हैं मैं ना कुछ करता हुँ
ना कुछ कहता सुनता हुँ
हुँ मैं इक जिंदा लाश सा बेपरवाह
ज्यों जीवन के पन्नों पर
उलझा-उलझा सा ही रहता हुँ....
@शब्दभेदी किशोर

©शब्दवेडा किशोर #मेरा_अस्तित्व