अकेला हूं सफ़र में जानें मंज़िल कब मिलेगी डर लगता है इस जंगल के अंधेरे में जाने रोशनी कब मिलेगी तन्हा होकर सारी दुनिया से ढूंढ रहा हूं अपने सपनों को जानें खुशी की कली कब खिलेगी अकेला हूं सफ़र में जानें मंज़िल कब मिलेगी 8178570967 ©Raviprakash Akela hun Safar mein