मै रही न खुद में खुद की , बजी जब भी तेरी बंशी ! मन मोहन तू मन मोह लेग्या , मेरे गमो को तू संजोय ले गया है दिल में तमना तू मेरा होकर रह जा , न रुके मेरे ये कभी होठों की हंशी ! lord krishna