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मैं जब उनको अपने क़रीब पाती हूँ : उनकी आँखों में बस

मैं जब उनको अपने क़रीब पाती हूँ :
उनकी आँखों में बस डूब जाती हूँ !

उस कुछ पल की हँसी का देर तलक :
अपने अश्कों से सारा मोल चुकाती हूँ !

मुझे छू ही लेती हैं उनके प्यार की लपटें :
फिर चाहे लाख दामन को मैं बचाती हूँ !

रोई रोई आँखों में ख़्वाब मुस्कुराते हैं :
जब ख़यालों में उनको लेकर आती हूँ !

करके दिलों को रौशन चराग़ तूफ़ाँ में :
हर दिन अपनी हिम्मत को आज़माती हूँ !

इस पाक़ीज़ा इश्क़ का आस्तां जहाँ भी हो :
मैं अपना सिर हमेशा वहीं पर झुकाती हूँ !

©V. Aaraadhyaa
  #पाक़ीज़ा इश्क
vaaradhya2245

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#पाक़ीज़ा इश्क #शायरी

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