-परम सत्य योगपथ- ~पूर्णतः एकांत~ पूरी कविता नीचे कैप्शन में... समस्त मित्रों के लिए समर्पित... -Amar Bairagi ऐ दोस्त बुरा मत मानना कि अब मैं तेरे पास नहीं... वो गलियां... , वो यारियां... बिल्कुल याद है मुझे वो अल्हड़ सी अठखेलियाँ आज भी साथ है मेरे... लेकिन अब मैं तेरे साथ नहीं ,