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कहा से लाऊँगा दौलत मैं ##याप के लिये, नहीं कर पाऊ

कहा से लाऊँगा दौलत 
मैं ##याप के लिये,
नहीं कर पाऊंगा अब चाहतों 
कुछ आप के लिये !

बदन तपता है मेरा रोज़ 
चंद सिक्को को,
तुम्हीं कहो मैं सुनू खुद की 
या सुनू आप के लिये ?

चाहता चाँद से ही करलू 
कुछ मैं गौर तलब,
चाँद फिर चाँद कहा लगता
 मुझे आप के लिये !
-Navdeep Panchal 'Shubh'
कहा से लाऊँगा दौलत 
मैं ##याप के लिये,
नहीं कर पाऊंगा अब चाहतों 
कुछ आप के लिये !

बदन तपता है मेरा रोज़ 
चंद सिक्को को,
तुम्हीं कहो मैं सुनू खुद की 
या सुनू आप के लिये ?

चाहता चाँद से ही करलू 
कुछ मैं गौर तलब,
चाँद फिर चाँद कहा लगता
 मुझे आप के लिये !
-Navdeep Panchal 'Shubh'