खिलौना 1. Stuff toys नर्म नर्म से,गुदगुदे से, वो पहले हमबिस्तर, वो मुस्काते,पर मुर्दे से, वो मेरी हिंसा,मेरी नादानी को बडी नादानी से झेल सकता था, कितना भी खेंचू,तोडूं या मरोडूं, मगर मेरे साथ खेल सकता था, कभी मेरा दोस्त कभी तकिया, एक हमराज़ जो सच में चुप रहा, एक शक्ल थी उसकी,जाने कितने किरदार थे, राजा रंक सिपाही थे वो मेरे छोटे से संसार के । read complete poem in caption खिलौना 1. Stuff toys नर्म नर्म से,गुदगुदे से, वो पहले हमबिस्तर, वो मुस्काते,पर मुर्दे से,