निर्वात वास में मन हुआ दीप, सदभाव की दीपशिखा लिए, सुप्रभात 🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼 निर्वात वास में मन हुआ दीप, सदभाव की दीपशिखा लिए, विचार गतिहीन,मन स्वाधीन, श्रद्धा के दीप जल उठे🪔🪔🪔🪔 अंतर्मन पवित्र मंदिर हुआ, भोर के नेत्र खुल रहे... पंछी मधुर प्रभाती गाते,