चकमक पत्थर के टकराने से निकली एक चिंगारी और प्रकाश हो गया, ठोकर खाकर सम्भलना मेरा सार्थक हो गया। मेरी पहली कविता स्कूल टाईम में लिखी थी। उम्मीद है आप तक पहुंचेगी