सबको लग रहा है मैं नया हूं क्या पता मुझको किसी को क्या बताऊंगा मैं खुद अनजान बैठा हूँ क्यों शर्तों पर जीवन बांधा प्रेम पंथ में क्यों जीवन के पथ पर एक ऐसी छवि डाली इतने अच्छे प्रणय शब्द को क्या कर डाला क्यों बन कर रह गई, सिर्फ एक डरने वाली