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बचपन भी कमाल था जब सीखा था मां से कैसे हाथों को व

बचपन भी कमाल था
 जब सीखा था मां से
कैसे हाथों को वश मे कर
बिंदू से बिंदू जोड़ लेना
मां सिखाया करती थी कुछ
ऐसे ही आखर गढ़ना,

तस्वीरों में रंग भर, उनमें
जान भर देना।
कुछ अच्छा बन जाए
इस आस में बड़े सारे बिंदु जोड़े
ढेरों लकीरें बनाई, हाशिए दिए
कि आकर्षित कर सकूं सब को।

किस बिंदू से चलकर
किस बिंदू तक जाना है।
बस अब कोई हाथ पकड़
कहां बताता है?

©Sunita
  #बचपनकीबातें