मैं हारा हुआ इंसान हू।। खुदसे ही भागता हु मैं, मैं खुदसे परेशान हुँ, ज़िन्दगी की इस दौड़ मैं, मैं हारा हुआ इंसान हू।। कर्मो से चूका हु मैं, मैं धर्मो से भी हैरान हूं, चुभता हु खुदकी आंखों में ही, मैं हार हुआ इंसान हुँ।। अपनो से ही बैर हु मैं, लगता सबको अपमान हु, नापसंद हू अपनो को भी अब, मैं हारा हुआ इंसान हु।। #yourquote #munasif_e_mirza #nightthoughts #yqaestheticthoughts