विगत समय के सब विकार बनकर दु:स्वप्न बिखर जाएं तिमिर दूर हो अमावसों का पूनम के रंग निखर जाएं . जाति, धर्म, संप्रदाय वाद और क्षेत्रवाद की प्राचीरें हों ध्वस्त आज सब रूढ़िवाद की कलुषित कुंचित जंजीरें . महकाएं सबके आंगन में नेह प्रसूनदुलार भरा इस बार रचें यह नया गीत जिसमें हो बस प्यार भरा । स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं ः ः ः