बहुत दिनों से खिचड़ी न पकाई, शब्दों ने मसालों से नज़र है हटाई.. दाल चावल बीन लूं ,धूं पानी में भिगाये क़लम में स्याही भरूं, फिर हांडी चढ़ायें.. डालूं उसमें नमक, धनिया, घोलूं हल्दी शीर्षक तो सोच लिया ,अब लिखूं जल्दी जल्दी.. दो सीटी उबाल कर ,धीमी कर पांच मिनट आंच, लिखकर जेहन में ,कर लूं मात्राओं को जांच.. बंद कर चूल्हा, तड़का लगाऊं हींग जीरे का खास, बिखरा लेख ,टूटी तूलिका , कविता न हुई पास.. #खिचड़ी #ख्याली_पुलावों_की_एक_कविता #मन_के_अल्फ़ाज़ #मसाले #खालीखडे़ करना था कुछ काम #अन्ताक्षरी खेल लूं खुद से आता इतने दूध उबाल #तूलिका