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शराफ़त से रहूँ मुझको इजाज़त ही नहीं मिलती सियासत का

शराफ़त से रहूँ मुझको इजाज़त ही नहीं मिलती
सियासत का ज़माना है शराफ़त ही नहीं मिलती
कलेजा काट कर देते लहू भी बाँट कर देते
मगर ये हो नहीं पाता शिकायत ही नहीं मिलती।

- हरि शंकर कुमार।

©Hari Shanker Kumar
  #इजाजत ही नहीं मिलती

#इजाजत ही नहीं मिलती #कविता

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