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मैं थोड़ा सा पागल हूँ, थोड़ी सी तू दिवानी, राम ही जा

मैं थोड़ा सा पागल हूँ, थोड़ी सी तू दिवानी,
राम ही जाने कैसे बनेगी, अपनी प्रेम कहानी।

मैं रातों में बसा अंधेरा, तू सुबह की लाली है,
मैं ग़रीब के हाथ में पत्ता, तू पूजा की थाली है,
मैं जादू का काला गुड्डा, तू गुड़िया मेहलों वाली है,
मैं पूरब की धूल में तिनका, तू पश्चिम की हरियाली है,

मैं थोड़ा सा बाज़ी हूँ, थोड़ी सी तू मस्तानी,
राम ही जाने कैसे बनेगी, अपनी प्रेम कहानी।

रविकुमार मैं थोड़ा सा पागल हूँ, थोड़ी सी तू दिवानी,
राम ही जाने कैसे बनेगी, अपनी प्रेम कहानी।

मैं रातों में बसा अंधेरा, तू सुबह की लाली है,
मैं ग़रीब के हाथ में पत्ता, तू पूजा की थाली है,
मैं जादू का काला गुड्डा, तू गुड़िया मेहलों वाली है,
मैं पूरब की धूल में तिनका, तू पश्चिम की हरियाली है,
मैं थोड़ा सा पागल हूँ, थोड़ी सी तू दिवानी,
राम ही जाने कैसे बनेगी, अपनी प्रेम कहानी।

मैं रातों में बसा अंधेरा, तू सुबह की लाली है,
मैं ग़रीब के हाथ में पत्ता, तू पूजा की थाली है,
मैं जादू का काला गुड्डा, तू गुड़िया मेहलों वाली है,
मैं पूरब की धूल में तिनका, तू पश्चिम की हरियाली है,

मैं थोड़ा सा बाज़ी हूँ, थोड़ी सी तू मस्तानी,
राम ही जाने कैसे बनेगी, अपनी प्रेम कहानी।

रविकुमार मैं थोड़ा सा पागल हूँ, थोड़ी सी तू दिवानी,
राम ही जाने कैसे बनेगी, अपनी प्रेम कहानी।

मैं रातों में बसा अंधेरा, तू सुबह की लाली है,
मैं ग़रीब के हाथ में पत्ता, तू पूजा की थाली है,
मैं जादू का काला गुड्डा, तू गुड़िया मेहलों वाली है,
मैं पूरब की धूल में तिनका, तू पश्चिम की हरियाली है,