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मेरी आँखों में ख्वाइशों के समन्दर क्यों हैं ? मैं

मेरी आँखों में ख्वाइशों के समन्दर क्यों हैं ?
मैं परिंदा तो नहीं हूँ तो मेरे पर क्यों हैं ?

कोई आहट, कोई आवाज़ नहीं है तो फिर,
ये इतना शोर शराबा मेरे अन्दर क्यों है ?

दुआएं सुनने को जब कोई खुदा है ही नहीं,
तो सदाओं में बेवजह ये कलन्दर क्यों हैं ?

इतनी ताक़त है समन्दर में तो गुलचमन कर,
उसके हर ओर सिर्फ रेत के मन्ज़र क्यों है ?
 ❤️ Shayar RK...✍🏻

©SHAYAR (RK)
  #World_Oceans_Day