दिल कहता है मोहब्बत नहीं क़यामत है ये, फिर दिल की दीवार पर तेरा चेहरा क्यूँ है, और भी ज़ख्म हैं तेरे ज़ख्मों के सिवा, तेरे ही ज़ख्म का दाग इतना गहरा क्यूँ है। ©Shiva Ji jakhm