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ये रूह में एक उम्मीद, एक तिष्णगी है जो! अगर मैं क

ये रूह में एक उम्मीद, एक तिष्णगी है जो! 
अगर मैं कहूँ ये तेरा इंतज़ार फज़ूल है तो? 

जड़ ढूँढने वाले मदहोश है महक से जिसकी, 
किसे मालूम है किस चमन का फूल है वो? 

जकड़े क्यों जब हर शह की इंतेहा तय है? 
क्या करोगे जब ये क़ुदरत का उसूल है तो? 

तेरे मरने से रत्ती भर फ़र्क़ न पड़ेगा ज़माने को, 
जब इसे सारे मसीहाओं की मौत क़ुबूल है तो!

©Shubhro K
  #yedooriyan #Poetry #17Aug2022 Pushpvritiya  divya