हम आजाद परिन्दे है, आजाद ही रहने दो न कैद करो हमको इन लौह की दीवारों में।। कुछ तो समझो तुम मेरी इन आजादी को क्यो भूल जाते हो प्रकृति की सुंदर माया को हम आजाद परिन्दे है, आजाद ही रहने दो न कैद करो हमको इन लौह की दीवारों में।। क्या मिलता है तुमको छीन कर मेरी आजादी को बस थोड़ी सी घर की रौनक की खातिर क्यो छीन लेते हो मेरी आजादी न कैद करो हमको इन लौह की दीवारों में हम आजाद परिन्दे है , आजाद ही रहने दो।। :-sky आजाद परिन्दे