सूर्य शाबर मंत्र:- ll ओम गुरूजी दीत दीत महादीत.दूत सिमरू दसो द्वार.घट मे राखे घेघट पार तो गुरू पावूं दीतवार.दीतवार कश्यप गोत्र,रक्त वर्ण जाप सात हजार कलिंग देश मध्य स्थान वर्तुलाकार मंडल १२ अंगुल सिंह राशि के गुरू को नमस्कार.सत फिरे तो वाचा फिरे,पीन फूल वासना सिंहासन धरे, तो इतरो काम दीतवार जी महाराज करेओम फट् स्वाहा भैरव शाबर मन्त्र “ॐ रिं रिक्तिमा भैरो दर्शय स्वाहा । ॐ क्रं क्रं-काल प्रकटय प्रकटय स्वाहा । रिं रिक्तिमा भैरऊ रक्त जहां दर्शे । वर्षे रक्त घटा आदि शक्ति । सत मन्त्र-मन्त्र-तंत्र सिद्धि परायणा रह-रह । रूद्र, रह-रह, विष्णु रह-रह, ब्रह्म रह-रह । बेताल रह-रह, कंकाल रह-रह, रं रण-रण रिक्तिमा सब भक्षण हुँ, फुरो मन्त्र । महेश वाचा की आज्ञा फट कंकाल माई को आज्ञा । ॐ हुं चौहरिया वीर-पाह्ये, शत्रु ताह्ये भक्ष्य मैदि आतू चुरि फारि तो क्रोधाश भैरव फारि तोरि डारे । फुरो मन्त्र, कंकाल चण्डी का आज्ञा । रिं रिक्तिमा संहार कर्म कर्ता महा संहार पुत्र । ‘अमुंक’ गृहण-गृहण, मक्ष-भक्ष हूं । मोहिनी-मोहिनी बोलसि, माई मोहिनी । मेरे चउआन के डारनु माई । मोहुँ सगरों गाउ । राजा मोहु, प्रजा मोहु, मोहु मन्द गहिरा । मोहिनी चाहिनी चाहि, माथ नवइ । पाहि सिद्ध गुरु के वन्द पाइ जस दे कालि का माई ॥” विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 188 से 198 नाम 188 गोविदां-पतिः गौ (वाणी) पति 189 मरीचिः तेजस्वियों के परम तेज 190 दमनः राक्षसों का दमन करने वाले 191 हंसः संसार भय को नष्ट करने वाले 192 सुपर्णः धर्म और अधर्मरूप सुन्दर पंखों वाले 193 भुजगोत्तमः भुजाओं से चलने वालों में उत्तम 194 हिरण्यनाभः हिरण्य (स्वर्ण) के समान नाभि वाले 195 सुतपाः सुन्दर तप करने वाले 196 पद्मनाभः पद्म के समान सुन्दर नाभि वाले 197 प्रजापतिः प्रजाओं के पिता 198 अमृत्युः जिसकी मृत्यु न हो 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' सूर्य शाबर मंत्र:- ll ओम गुरूजी दीत दीत महादीत.दूत सिमरू दसो द्वार.घट मे राखे घेघट पार तो गुरू पावूं दीतवार.दीतवार कश्यप गोत्र,रक्त वर्ण जाप सात हजार कलिंग देश मध्य स्थान वर्तुलाकार मंडल १२ अंगुल सिंह राशि के गुरू को नमस्कार.सत फिरे तो वाचा फिरे,पीन फूल वासना सिंहासन धरे, तो इतरो काम दीतवार जी महाराज करेओम फट् स्वाहा