कुरेद कर ज़ख्म मेरे, हस्ती रही मैं टूटती रही, वो तोड़ती रही अँधेरे में छोड़ कर अकेला, वो डराती रही, मैं डरती रही ठंडी पड़ी राख में, चिंगारी कोई जलाती रही मैं जवाब तलाशती रही, वो सवाल बनी रही मेरी नाकामयाबी की बेहतरीन, वो मिसाल बनी रही ज़िन्दगी मेरी, सब्र का इम्तेहान लेती रही जब थक गयी वो, आई मेरी गोद में और सो गई वो आजमाइशों से लिपटी थी, मेरे दामन में आकर आज़ाद हो गई वो ज़िन्दगी मेरी, गुलज़ार हुई, जब आई और मेरी हो गई वो। कुरेद कर ज़ख्म मेरे, हस्ती रही मैं टूटती रही, वो तोड़ती रही अँधेरे में छोड़ कर अकेला, वो डराती रही, मैं डरती रही ठंडी पड़ी राख में, चिंगारी कोई जलाती रही मैं जवाब तलाशती रही, वो सवाल बनी रही मेरी नाकामयाबी की बेहतरीन, वो मिसाल बनी रही