उसने भी सुनना छोड दिया हमने भी कहना छोड़ दिया देखा देखी का अब तो मैंने अच्छा भी बनना छोड़ दिया जरूरत से चलती चाहतें हैं साजिशों के मुकाबले ये दौड कब की छोड़ दी रिश्ते भी बुनना छोड़ दिया अब खुशी न कोई "जीत"की न डर है कि खुद की हार का ये नशा ही अब तो उतर गया खुद से भी जलना छोड दिया फिक्र ही क्या अब राह की जो उसकी गली न जाये तो उस शहर से चले आये हम घर से निकलना छोड़ दिया ©Malkeet jeet #fursat ke din