नाकाम लोग धरती पर बोझ आरोप गढ़ें। सोचना पड़े बाहर या अंदर किससे लड़े। मजबूत वो मशहूर अब तो भारी भी पड़े। विपक्ष भंग न बोलने का ढंग झूठ से लड़े। उखड़ चुके फेकना है इनको द्रोही ये बड़े। गिरा खुद को विरोधी सभी दोष ही गढ़ें। जहर जने हरकत हरदम हरामी बड़े देश की दिशा है बिगाड़ती दशा वो कैसे बढ़े। लड़ना पड़े सोचता खड़ा किस से लड़े। अविराम पहिले किस से लड़े