कागज़ कागज की कश्ती पर सवार कौन हुआ बिना गीता सुने भवसागर से पार कौन हुआ पता है मुझे डुबोना चाहेगी मुझे कोई दरिया पर एक बार जो डूब निकला उसे डुबोना संभव हर बार नही हुआ ।।