टूटा जो तुमसे रिश्ता छूटा मेरा किनारा डूबे ना पार आए ये हश्र है हमारा हर शिकस्त पे समझौते किये वक़्त से हमने अब और करें उम्मीद क्या जब ज़िन्दगी को हरा मिलने के ख़्वाब लेकर सोये थे नींद भर बिछड़े हैं शाख से जो फिर जुड़ते कहाँ दोबारा तुम साथ थे हमारे जीने का था बहाना क्यूँ छीन लिया हमसे जीने का हर सहारा #LOVE #बिछड़न #हश्र 📙