गुरुर बनी गुरू
पहले मेरे जीवन में आकर मेरा गुरूर बढ़ाई , फिर मुझे अपनी आदत लगाई , सातों जनमों तक साथ रहने का वादा करके दिल में लाखों अरमान जगाई, मैं उसकी अदाओं को शब्दों में उतारते-उतारते धीरे- धीरे छोटा मोटा शायर बनता गया, फिर अचानक उसने वही किया जो हर लेखक बारे में लोग कहते हैं(एक लेखक बनने के लिए प्यार का होना जरूरी है और मुकम्मल लेखक होने के लिए प्यार का खोना जरूरी है)दिल के लाखों अरमां पल भर में खाक हो गये, मेरी लेखन की गति सीमा और तीव्र हो गई, और इस तरह जो मेरी गुरुर थी वो मेरी गुरू बन गई #शायरी