साथ बिताए हर पल, अब बोहोत याद आतें हैं अता हर ज़ख्म के साथ, मरहम भी साथ लाते हैं ये मेरे अश्क़ भी, जो कितने मासूम हैं तेरे एक खयाल के लिए, अक्सर हाज़िरी लगाते हैं बुरा था वक़्त जो हिज्र का सफर में ज़िक्र हुआ लाख कोशिशों के बाद भी ये दौर ज़हन मे याद आतें हैं मैं दूर था रज़ाओं से साथ सफर मे सुकून था इन मंज़िलों को पार कर, रास्ते बोहोत याद आतें है साथ बिताए हर पल, अब बोहोत याद आतें हैं... साथ बिताए हर पल, अब बोहोत याद आतें हैं #Love #shayri #shayrilover #shaayri #shayrikakhajana #shayrikiduniya #shayrikidairy #shaayri #Shayrii