तुझको मैं अपना हाले मुहब्बत न लिख सका लिख लिख के फाड़ता रहा, इक ख़त न लिख सका //१ शल हो गईं थी उँगलियाँ छूकर तेरा बदन मैं उसके बाद वस्ल की हालत न लिख सका //२ गाते हैं उसके फ़ैज़ की हम्दो सना वे लोग जिनके नसीब में ख़ुदा इक छत न लिख सका //३ ~राज़ नवादवी शल- सुन्न; वस्ल- मिलन; फ़ैज़- कृपा; हम्द /सना- ईश्वर की स्तुति